Jitendra Kumar Yadav (9971561280,9871730720)

Tuesday, March 29, 2011

दहेज़ प्रथा रोकबाक लेल विचार करत बिहार - सरकार.

इ समाचार सुईंन के जतेक हम खुश भेलो, शायद अहूँ ओतबे खुश होयब...
आय मुंबई में एक समाचार पत्र (यशोभूमि) में एक खबर पढ्लो जाहीं सँ हमरा इ महसूस भेल जे "दहेज़ मुक्त मिथिला" के पुकार बिहार - सरकार सुईंन लेलक...

बिहार सरकार आय स्वीकार केलक कि दहेज़ प्रथाक बुराई के समाप्त करबाक लेल मौजूदा उपाय के अलावा जिलाधिकारी आर पुलिस अधीक्षक के व्यापक अधिकार देबाक लेल विचार करब जरुरी अछि, किए कि अदालत में एहेंन मामला के निपटाबै में बहुत बेसी समय लागैत अछि ! समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह प्रश्नोत्तर काल में विधान परिषद में कहलखिन जे बिहार में दहेज़ प्रथा रोकबाक लेल कानून लागू अछि आर अलग - अलग जिला में ओई ठामक जिला कल्याण पदाधिकारी दहेज़ निषेध अधिकारीक रूप में काज के रहल छैथ आर महिला विकास निगम के प्रबंध निदेशक के राज्य में पनपल दहेज़ निषेध अधिकारीक रूप में नियुक्त करल गेल अछि!

समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह कहलखिन जे दहेज़ कुप्रथा के रोकबाक लेल राज्य सरकार बहुत कार्यक्रम चले रहल छैथ आ लोग सभ के जागरूक करबाक प्रयास करल जे रहल अछि.....

शोभाग्य मिथिला

सबटा ख़ुशी अछि दमन पर ,
ऐगो हशी के लेल वक्त्त नहीं

दिन – राएत दोरते -दोरते दुनिया में ,
जिनगी के लेल वक्त्त नही |

माय के लोरी के एहाशास त् छैन ,
मुद्दा माय कहैय के लेल वक्त्त नहीं
सब रिश्ता के त छोरी गेला ,
मुद्दा अंतिम संस्कार करैय लेल हुनका वक्त्त नहीं |

सबटा नाम मोबाईल में छैन ,
मुद्दा दोस्तों से बात करैय वक्त्त नहीं
मन मर्जी व फर्जी के की बात करी ,
जिनका अपनोहु लेल वक्त्त नहीं |

अखियों में बसल त् नींद बहुत ,
मुद्दा नींद से आराम करैय लेल वक्त्त नहीं
दिल अछि गमो से भरल ,
मुद्दा कानैय के लेल वक्त्त नहीं |

टका – पैसा के दौर में एहन दौरी ,
की मुरीयो के तकय लेल वक्त्त नहीं
जे गेला हुनकर की कदर करी ,
जखन अपनही सपनों के लेल वक्त्त नहीं |

आब अहि बताऊ हे जिनगी ,
अहि जिनगी के लके की हेतय
की ? हरदम जिनगी से मरेय बाला ,
जिबैय के लेल अछि वक्त्त नहीं ?

Tuesday, March 1, 2011

Jitendra Kumar Yadav (9971561280)

विद्यापति गीत (गौरा तोर अंगना)


फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी को महा शिव रात्रि मनाया जाता है. इस दिन देवाधि देव शिव शंकर का माँ गौरी से विवाह हुआ था. अतः शिव विवाह के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व है. जिसे हर क्षेत्र के लोग बड़े ही श्रद्धा से मनाते हैं. कहते हैं भोले नाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं अतः लोग इस दिन व्रत रख भोले नाथ की प्रिय वस्तु  भांग धतुरा और बेल पत्र चढ़ा पूजा अर्चना करते हैं. 

विद्यापति की भक्ति से प्रसन्न हो साक्षात भोले नाथ उनकी चाकरी करने उनके पास आ गए थे. शिवरात्रि के अवसर पर विद्यापति का यह गीत:  

"गौरा तोर अंगना"

गौरा तोर अंगना,बर अजगुत देखल तोर अंगना।
एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बओना।।
हे गौरा तोर ................... ।


कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुस लदना   ।।
हे गौर तोर ............ ।

पैंच उधार मांगए गेलहुँ अंगना ।
सम्पति देखल एक भाँग घोटना ।।
हे गौरा तोर ................ ।

खेती न पथारी शिव गुजर कोना ।
जगतक दानी थिकाह तीन-भुवना।।
हे गौरा तोर ............... ।

भनहि विद्यापति सुनु उगना ।
दरिद्र हरन करू धएल सरना ।।

"कवि कोकिल विद्यापति"

इन पंक्तियों में विद्यापति कहते हैं : हे गौरी ! आपके आंगन में अजीब बात दिखा. एक तरफ बाघ, सिंह हुलक रहे थे, दूसरी तरफ एक बौना बैल भी था. कार्तिक और गणपति नाम के दो बच्चों को भी देखा. एक मयूर पर चढ़ा हुआ तो दूसरा मूस यानि चूहे पर लदा हुआ था. उधार माँगने  के उदेश्य से गया था, मगर संपत्ति के नाम पर मात्र भांग घोटना (भांग घोटने वाला ) दिखा. शिव खेती नहीं करते बस भांग में मस्त रहते हैं. सच वह तो दानी हैं, संसार के तीनो भुवन. विद्यापति कहते हैं - हे शिव ! मैं आपकी शरण में आया हूँ, मेरा दारिद्र हरण करें.

Jitendra Kumar Yadav (9971561280)

                   विद्यापति गीत(माधव कत तोर करब बड़ाई)


"कवि कोकिल विद्यापति"

माधव कत तोर करब  बड़ाई
उपमा तोहर कहब ककरा हम, कहितहुं अधिक लजाई 
जओं सिरिखंड सौरभ अति दुर्लभ, तओं पुनि काठ कठोरे 
जओं जगदीस निसाकर, तओं पुनि एकहि पच्छ इजोरे 
मनिक समान आन नहि दोसर, तनिक पाथर नामे 
कनक सरिस एक तोहिं माधव, मन होइछ अनुमाने 
सज्जन जन सओं नेह कठिन थिक, कवि विद्यापति भाने


उपरोक्त पक्तियों में कवि विद्यापति कहते हैं .....हे श्री कृष्ण मैं आपका गुणगान कैसे करूँ, आपकी तुलना किससे करूँ. मुझे तो तुलना करने में भी संकोच हो रहा है . यदि आपकी तुलना दुर्लभ श्री खंड से करता हूँ तो दूसरी तरफ वह कठोर भी तो है. यदि आपकी तुलना दुनिया को रोशनी से उजाला करने वाले चन्द्रमा से करता हूँ तो वह भी तो मात्र एक ही पक्ष के लिए होता है. मणि-माणिक्य से दामी एवम सुन्दर दूसरा कुछ नहीं होता, पर आखिर है तो पत्थर ही. उससे आपकी तुलना कैसे करूँ ? सोना के समान दमकते हुए केला से भी आपकी तुलना नहीं की जा सकती वह भी आपके आगे बहुत छोटा पड़ जाता है. मेरा अनुमान बिल्कुल सही है आपके समान दूसरा कोई नहीं है. कवि विद्यापति कहते हैं सज्जन अर्थात महान व्यक्ति से नेह जोड़ना बहुत ही कठिन है.